सर्वे में सामने आए आंकड़े
इस सर्वे के अनुसार, प्राइवेट नौकरी करने वाले करीब 20% लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं, जबकि 14% को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है। करीब 6.3% लोग मोटापे के शिकार पाए गए, वहीं 3.2% में हृदय रोगों के लक्षण मिले। 1.9% कर्मचारियों में किडनी से जुड़ी परेशानियां भी पाई गईं। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह रही कि आधे से ज्यादा कर्मचारी लगातार तनाव में रहते हैं, जो इन बीमारियों का बड़ा कारण बन रहा है। करीब 63% लोगों ने माना कि वे अपने काम की व्यस्तता के कारण सेहत की देखभाल के लिए समय नहीं निकाल पाते।
बीमारियों के पीछे छिपे मुख्य कारण
मुंबई के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अजय शर्मा का कहना है कि प्राइवेट सेक्टर में बदलती कार्यशैली इन समस्याओं की जड़ है। रोजाना 9 से 10 घंटे तक एक ही जगह बैठे रहने से मोटापा, जोड़ों का दर्द और अन्य शारीरिक समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसके साथ ही अनियमित खानपान, जंक फूड का सेवन और नींद की कमी डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ा रही है। देर रात तक काम करने की आदत तनाव को और ज्यादा बढ़ाती है, जो अंततः हृदय और किडनी की सेहत पर बुरा असर डालती है।
अन्य स्वास्थ्य समस्याएं
दिल्ली की कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रिया गुप्ता बताती हैं कि लगातार लैपटॉप और मोबाइल पर काम करने से आंखों की रोशनी कमजोर होने, गर्दन और पीठ में दर्द जैसी समस्याएं भी आम हो गई हैं। काम का बोझ इतना अधिक होता है कि व्यायाम और योग के लिए समय नहीं मिल पाता। उन्होंने सलाह दी कि स्ट्रेस को कम करने के लिए योग और मेडिटेशन बेहद प्रभावी हैं। इसके अलावा हर 1-2 घंटे में 5 मिनट का ब्रेक लेकर चलना-फिरना जरूरी है।
अगर सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या असामान्य थकान महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हृदय की सेहत बनाए रखने के लिए समय-समय पर मेडिकल चेकअप कराना भी जरूरी है।
Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी बदलाव या उपचार शुरू करने से पहले योग्य डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।